ब्रह्मलीन पिता श्री पंडित एस. के. शर्मा (1925-1999)
"अंगिरा ज्योतिष आपका हार्दिक स्वागत करता है "
परंपरागत वैदिक ज्योतिषीय ज्ञान अपने पैत्रक ब्रह्मलीन दादा एंव पिता श्री पंडित एस. के. शर्मा से प्राप्त हुआ। ब्रह्मलीन गुरुदेव श्री के.के. तोमर के द्वारा दक्षिण भारतीय कृष्णमूर्ति ज्योतिष सिस्टम की ओर आकर्षित किया गया।
हमने पिछले पंद्रह वर्षों में ज्योतिष में अद्वितीय ख्याति, सम्मान तथा विश्वास प्राप्त किया है शास्त्र कहते हैं कि विद्या अर्थात ज्ञान समस्याओं से मुक्ति, भय-मुक्ति, आत्म-संतुष्टि और आत्मविश्वास की पूर्ति करता है। हम परंपरागत वैदिक ज्योतिष तथा दक्षिण भारतीय ज्योतिष कृष्णमूर्ति पद्धति के द्वारा आपकी मानसिक, शारीरिक तथा भौतिक समस्याओं से मुक्ति हेतु अद्वितीय ज्योतिषीय परामर्श एंव उपचार सेवा प्रदान करते हैं, हमारे ज्योतिषीय मार्गदर्शन तथा उपायों से आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
हम ज्योतिषीय फ़लादेश व परामर्श प्रदान करने हेतु ज्योतिष जगत की अद्वितीय, सटीक, आश्चर्यजनक-व्यवहारिक विश्लेषण तथा भविष्य में घटने वाली घटनाओं की पूर्व जानकारी प्रदान करने वाली सैद्धान्तिक तथा पूर्ण ज्योतिषीय पद्धति का प्रयोग करते हैं यह पद्धति परंपरागत वैदिक ज्योतिषीय तथा कृष्णमूर्ति पद्धति के सिद्धन्तों के संयोजन तथा समन्वय पर आधारित एक आधुनिक्रत ज्योतिष पद्धति है।
"अंगिरा ज्योतिष " हम आपके जीवन के विभिन्न विषयों, घटनाओं तथा समस्याओं पर व्यक्तिगत चर्चा कर आपको परामर्श सेवा प्रदान करते हैं, अद्वितीय ज्योतिषीय विश्लेषण, तथा उपचारीय परामर्श जिसके परिणाम स्वरूप आपके जीवन की समस्त बाधाएं तथा समस्याएं समाप्त होती हैं तथा आपके जीवन के पूर्व निर्धारित लक्ष्यों तथा उपलब्धियों की प्राप्ति होती है, तथा अंगिरा ज्योतिष आपके दीर्ध जीवन, विश्वसनीय सेवाएँ, स्वास्थ्य समृद्धि के लिए कामना करते हैं।
ब्रह्मलीन गुरुदेव श्री के.के. तोमर (1941-2010)
ब्रह्मलीन श्री के.के. तोमर ने प्रभावी रुप से कहा था कि सही समय पर सही सलाह आपके भविष्य को बदल सकती है और वर्तमान को अच्छा बना सकती है। श्री तोमर का जन्म सन् 1941 में अजमेर में हुआ था। वे भावनगर (गुजरात) में भारतीय रेल्वे की सेवा में थे तथा सन् 2001 में सेवानिवृत हुए। गुजरात के प्रसिद्ध वैदिक ज्योतिष श्री दया शंकर त्रिवेदी से गत 35 वर्ष पूर्व ज्योतिष की शिक्षा ली। प्रारंभिक तौर पर उन्होंने पारंपरिक वैदिक ज्योतिष तथा जल्द ही दक्षिण भारतीय ज्योतिष विज्ञान कृष्णमूर्ति पद्धति को सीखा। इसके बाद 30 साल के कठिन अनुसंधान के बाद आप ने ज्योतिष विज्ञान में समर्पित रहते हुए भारत में प्रसिद्धि पाई एवं उनका नाम उच्च व्यक्तित्व के साथ लिया जाता है।
उन्होंने के.पी. पद्धति को भी बढ़ावा दिया जिसमें हस्त रेखा, वास्तु, नवग्रह रत्न धारण और अंक ज्योतिष में भी कार्य किया। उनके ज्योतिष व्याख़्यान् विभिन्न विषयों पर पत्रिकाओं तथा समाचार-पत्रों में अक्सर छपते रहते थे। इस क्रम में उन्होंने एक पुस्तक ‘‘रत्न गुड लक फॉर यू’’ भी लिखी जिससे मध्य भारत, गुजरात, राजस्थान एवं सम्पूर्ण भारत में उनकी सलाह से लोगों का काफी उद्धार हुआ। लोगों में ज्योतिष के प्रति आस्था एवं विश्वास का संचार हुआ और जनमानस को सहजता महसूस हुई। सूरत (गुजरात) में एक संस्था ‘‘स्टैपिंग-स्टोन’’ की स्थापना की जिसमें ज्योतिष विज्ञान से संबंधित अनुसंधान, रत्नों की सलाह का प्रमुख केन्द्र रहा और श्री तोमर गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध हुए। सूरत (गुजरात) में सन् 2010 में उनका देहावसान हुआ।
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