अंक ज्योतिष
अंकज्योतिष अंकों की सहायता से भविष्यवाणी करने का विज्ञान है। अंकज्योतिष के माध्यम से मनुष्य की भविष्य जानने की मूलभूत इच्छा की पूर्ति होती है।
अंकज्योतिष में गणित के नियमों का व्यवहारिक उपयोग करके मनुष्य के अस्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर नजर डाली जा सकती है।
अंकज्योतिष में नौ ग्रहों सूर्य, चन्द्र, गुरू, यूरेनस, बुध, शुक्र, वरूण, शनि और मंगल की विशेषताओं के आधार पर गणना की जाती है। इन में से प्रत्येक ग्रह के लिए 1 से लेकर 9 तक कोई एक अंक निर्धारित किया गया है, जो कि इस बात पर निर्भर करता है कि कौन से ग्रह पर किस अंक का असर होता है। ये नौ ग्रह मानव जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। जातक के जन्म के समय ग्रहों की जो स्थिति होती है, उसी के अनुसार उस व्यक्ति का व्यक्तित्व निर्धारित हो जाता है। एक प्राथमिक तथा एक द्वितीयक ग्रह प्रत्येक व्यक्ति के जन्म के समय उस पर शासन करता है। इसलिए, जन्म के पश्चात जातक पर उसी अंक का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है, जो कि जातक का स्वामी होता है। इस व्यक्ति के सभी गुण चाहे वे उसकी सोच, तर्क-शक्ति, भाव, दर्शन, इच्छाएँ, द्वेष, सेहत या कैरियर हो, इस अंक से या इसके संयोग वाले साथी ग्रह से प्रभावित होते हैं। यदि किसी एक व्यक्ति का अंक किसी दूसरे व्यक्ति के अंक के साथ मेल खा रहा हो तो दोनों व्यक्तियों के बीच अच्छा ताल-मेल बनता है।
अंकज्योतिष शास्त्र के अनुसार केवल एक ही नाम व अंक किसी एक व्यक्ति का स्वामी हो सकता है। जातक जीवन में अपने अंकों के प्रभाव के अनुसार ही अवसर व कठिनाइयों का सामना करता है। अंकज्योतिष शास्त्र में कोई भी अंक भाग्यशाली या दुर्भाग्यपूर्ण नहीं हो सकता, जैसे कि अंक “ 7” को भाग्यशाली व अंक “13” को दुर्भाग्यपूर्ण समझा जाता है।
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